The stock market made the biggest roar in 4 years, these are the 7 big reasons.

शेयर बाजार में सोमवार की तेजी के पीछे सबसे बड़ा कारण भारत पाकिस्तान के बीच सीजफायर है. लेकिन यही एक मात्र कारण है, ये कहना ठीक नहीं होगा. सेंसेक्स और निफ्टी में तीन फीसदी से ज्यादा की तेजी पीछे और भी कई फैक्टर हैं. जिसमें अमेरिका चीन ट्रेड टॉक, भारत की सॉवरेन रेटिंग में इजाफा, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी, भारत की बड़ी कंपनियों के शेयरों में उछाल अहम हैं. इन सब के अलावा ट्रेड टॉक की वजह से दुनियाभर में एक ऐसा माहौल बना है, जिससे तमाम अनिश्चितताएं कम हुई हैं. इन तमाम कारणों से से भी शेयर बाजार निवेशक मालामाल हुए हैं. खास बात तो ये है कि सोमवार को शेयर बाजार में करीब 4 साल के बाद किसी भी सिंगल डे पर सबसे बड़ी तेजी देखने को मिली है.

सुबह के समय जब शेयर बाजार ओपन हुआ तो जल्द ही 5 महीनों के हाई पर पहुंच गया. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 2600 से ज्यादा अंकों की तेजी के साथ 82,065.41 अंकों के साथ 16 दिसंबर के बाद पहली बार 82 हजार अंकों के पार पहुंच गया. वैसे सेंसेक्स में पिछले हफ्ते दो कारोबारी दिनों में गिरावट के साथ बंद हुए थे. जिसकी वजह से निवेशकों को मोटा नुकसान हुआ है. वहीं दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी 5 महीनों के हाई पर दिखाई दिया. एनएसई की वेबसाइट के अनुसार निफ्टी कारोबारी सत्र के दौरान 24,822.70 अंकों के साथ पीक पर पहुंच गया. जिसकी वजह से निवेशकों को करीब 15 लाख करोड़ रुपए का फायदा हुआ है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर शेयर बाजार में तेजी के पीछे कौन कौन से कारण काम कर रहे हैं.

शेयर बाजार में तेजी के प्रमुख कारण?

  1. भारत-पाकिस्तान सीजफायर : करीब चार दिनों के सैन्य टकराव के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद शेयर बाजार निवेशकों ने राहत की सांस ली है और सेंटीमेंट में बदलाव देखने को मिला है. संघर्ष बढ़ने की आशंकाओं के बीच शुक्रवार तक तीन सत्रों में निफ्टी में लगभग 1.5 फीसदी की गिरावट आई थी.
  2. यूएस-चीन ट्रेड टॉक : जिनेवा में दो दिनों तक चली ट्रेड टॉक के दौरान यूएस और चीन द्वारा “पर्याप्त प्रगति” की रिपोर्ट के बाद एशियाई इक्विटी में 1फीसदी तक की तेजी आई. यूएस वायदा और तेल की कीमतों में भी तेजी आई, जिससे भारतीय बाजारों में धारणा मजबूत हुई. एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्राइम रिसर्च के प्रमुख देवर्ष वकील मीडिया रिपोर्ट में कहा कि भू-राजनीतिक तनाव कम होने के साथ ही बाजार में उछाल आने वाला है.
  3. म्यूचुअल फंड एसआईपी फ्लो रिकॉर्ड लेेवल पर : घरेलू संस्थागत समर्थन से अप्रैल में मासिक एसआईपी फ्लो रिकॉर्ड 26,632 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो पिछले महीने से 2.72 फीसदी अधिक है. एसआईपी के माध्यम से एयूएम 13.9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जबकि वित्त वर्ष 25 में एसआईपी प्रवाह 45.24 फीसदी बढ़ा, जो वित्त वर्ष 18 के बाद सबसे तेज वृद्धि है.
  4. भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग में इजाफा : मॉर्निंगस्टार डीबीआरएस ने बेहतर मैक्रो फंडामेंटल का हवाला देते हुए भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को बीबीबी (कम) से बीबीबी (स्थिर) में अपग्रेड किया. लॉन्ग टर्म विदेशी और स्थानीय मुद्रा जारीकर्ता रेटिंग दोनों को बढ़ाया गया. यह अपडेशन भारत की आर्थिक प्रगति में विश्वास का संकेत देता है और वैश्विक अस्थिरता के बीच इसके निवेश आकर्षण को बढ़ाता है.
  5. किन शेयरों में तेजी : फार्मा और हेल्थकेयर को छोड़कर सभी प्रमुख सेक्टर्स हरे निशान में खुले, जो व्यापक निवेशक भागीदारी को दर्शाता है. निफ्टी रियल्टी ने 4.5 फीसदी की बढ़त के साथ बढ़त हासिल की, इसके बाद निफ्टी पीएसयू बैंक (3%), निफ्टी ऑटो (2.5%) और निफ्टी आईटी (3.7%) का स्थान रहा. व्यापक बाजार में भी तेजी रही, निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांकों में क्रमशः 3.3% और 3.5% की बढ़त दर्ज की गई. व्यक्तिगत शेयरों में, अडानी पोर्ट्स, एक्सिस बैंक, एलएंडटी, बजाज फाइनेंस और एनटीपीसी में 3-4% की तेजी आई.
  6. टेक्नीकल सपोर्ट : कोटक सिक्योरिटीज में इक्विटी रिसर्च के प्रमुख श्रीकांत चौहान ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि निफ्टी ने साप्ताहिक चार्ट पर एक लंबी मंदी की मोमबत्ती बनाई है और 200-दिनों के एसएमए के पास मंडरा रहा है. उन्होंने कहा कि हमारा मानना ​​है कि जब तक बाजार 24,200/80,000 से नीचे रहता है, तब तक कमजोर भावना बनी रह सकती है. लेकिन 24,200/80,000 से ऊपर का ब्रेकआउट पुलबैक रैली को ट्रिगर कर सकता है. 24,500/81,000 से ऊपर का बंद सूचकांकों को 25,000/82,500 की ओर धकेल सकता है.
  7. कच्चे तेल की कीमतों में उछाल : अमेरिका-चीन ट्रेड टॉक को लेकर आशावाद के चलते कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया, जिससे दुनिया के दो सबसे बड़े तेल कंज्यूमर्स की मांग में सुधार का संकेत मिला. ब्रेंट क्रूड 27 सेंट (0.4%) बढ़कर 64.18 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जबकि WTI 28 सेंट (0.5%) बढ़कर 61.30 डॉलर पर पहुंच गया. तेल की कीमतों में उछाल ने ऊर्जा शेयरों को समर्थन दिया और वैश्विक आर्थिक भावना में व्यापक सुधार को मजबूत किया, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय बाजार का भरोसा बढ़ा.

क्या जारी रहेगी तेजी?

सोमवार की रैली से बेहतर भावना का संकेत मिला है, लेकिन विश्लेषक भारत-पाकिस्तान वॉर विराम की स्थायित्व और वैश्विक घटनाक्रमों के बारे में सतर्क बने हुए हैं. जानकारों ने कहा कि वर्तमान बाजार पैटर्न अनिश्चित और अस्थिर है. भारत अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था के कारण “अपेक्षाकृत स्थिर निवेश गंतव्य” बना हुआ है. लेकिन वैश्विक अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव देखने को मिल रहे हैं, उससे एक बार फिर से शेयर बाजार टेस्ट हो सकते हैं.

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